भगवान शिव से संबंधित धर्म को शैव कहा जाता है। ऋग्वेद में शिव को रुद्र कहा जाता था। हड़प्पा सभ्यता में भी शिव के प्रतीक मिले हैं।
अतः यह एक प्राचीन धर्म था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र से पता चलता है कि मौर्यकाल में शिव पूजा प्रचलित थी।
गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय का प्रधानमंत्री वीरसेन शैव उपासक था। उसने उदयगिरि पहाड़ी पर शैव गुफा का निर्माण कराया था।
गुप्तकाल में ही भूमरा का शिव मंदिर एवं नचना कुठार का पार्वती मंदिर निर्मित किया गया। इस काल के पुराणों में लिंग पूजा का उल्लेख मिलता है।
सम्भवतः लिंग रूप में शिव पूजा का आरंभ गुप्तकाल में ही हुआ। हर्षवर्द्धन के काल में आया चीनी यात्री ह्वेनसांग वाराणसी को शैवधर्म का प्रमुख केन्द्र बताता है।
राजपूत काल में भी शैवधर्म उन्नति पर था। चन्देल शासकों ने खजुराहो में कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण कराया। कालिदास, भवभूति,सुबंधु एवं वाणभट्ट जैसे विद्वान शैवधर्म के ही उपासक थे।