महावीर जैन की शिक्षायें बड़ी सरल तथा सादा हैं। यह कर्म, उच्च आदर्शों तथा अवागमन के सिद्धांतों पर आधारित है।
इनमें अहिंसा, तपस्या, त्रिरत्न पर विशेष बल दिया है। संक्षेप में इनके मुख्य सिद्धांत इस प्रकार हैं—
1. त्रिरत्न— जैन धर्म में तीन रत्नों के पालन पर जोर दिया गया है, जिसमें : सम्यक विरास, सम्यक ज्ञान और सम्यक आचरण है।
2. पाँच महाव्रत— महावीर स्वामी ने गृहस्थों के जीवन को पवित्र बनाने के लिए पाँच महाव्रत बताये हैं, जो इस प्रकार है
- सत्य
- अहिंसा
- असत्येय
- अपरिग्रह एवं
- ब्रह्मचर्य
3. चौबीस तीर्थंकरों की पूजा— जैन धर्म में 24 तीर्थंकरों की पूजा का विधान है। जैन धर्म के अनुयायी इनमें अटूट विश्वास तथा अखंड श्रद्धा भक्ति रखते हैं।
4. मोक्ष प्राप्ति तथा निर्वाण— हिन्दू एवं बौद्ध धर्म की भाँति जैन धर्म में भी मोक्ष प्राप्ति अथवा निर्वाण को जीवन का चरम लक्ष्य माना जाता है।