कुषाण काल में गांधार क्षेत्र में मूर्ति कला की नयी शैली का विकास हुआ। इसलिए - इसे गांधार कला के नाम से जाना जाता है। गांधार कला के अंतर्गत बुद्ध और बौधिसत्वों की मूर्तियों का व्यापक पैमाने पर निर्माण किया गया था।
बुद्ध और बौधिसत्वों की मूर्तियों के निर्माण में सलेटी पत्थर का प्रयोग किया गया है। इस कला में निर्मित बुद्ध की मूर्तियाँ मुद्रा की दृष्टि से भारतीय है किन्तु निर्माण शैली यूनानी(Greek) है।
बुद्ध और बौधिसत्वों की मूर्तियों में बुद्ध यूनानी देवता अपोलो की भांति बनाया गया है। मुखों और वस्त्रों का निर्माण यूनानी शैली में किया गया है।
गांधार शैली में बनी मूर्तियों में बौद्ध धर्म की भावना प्रदर्शित नहीं होती है। संक्षेप में गांधार कला की विशेषताओं में मूर्तियों का विषय बौद्ध धर्म से संबंधित है, लेकिन निर्माण शैली यूनानी है।