उत्तर – 17वीं शताब्दी में भारत के भूमि - प्रबन्ध का अध्ययन करने के लिए, - सबसे अधिक विश्वसनीय, आवश्यक एवं बहुमूल्य पुस्तक है । मूलरूप में यह अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल द्वारा लिखी गई, 'अकबरनामा' का तीसरा खण्ड है। वास्तव में अकबरनामा तकनीकी दृष्टि से एक इतिहास की पुस्तक है जबकि आईन-ए-अकबरी में उन नियमों का वर्णन है जो अकबर ने अपने प्रशासन को उचित ढंग से चलाने के लिए बनाए । यह आधुनिक काल के सरकारी सूचनालय की भाँति अकबर का शासन प्रबन्ध चलाने के बारे में एक महत्त्वपूर्ण गजट है।
आईन-ए-अकबरी में सरकार के विभागों तथा विभिन्न पदाधिकारियों के साथ ही साधारण लोगों की समस्याओं तथा उस समय के अकाल, विपदा आदि की भी जानकारी मिलती है। मुगल साम्राज्य का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रान्तों में आँकड़ों पर आधारित विवरण आईन-ए-अकबरी से मिलती है।