दिल्ली के आरंभिक तुर्क शासकों में बलबन का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
उसी के अधीन दिल्ली सल्तनत के सुदृढ़ीकरण का काम सम्पन्न हुआ और दिल्ली एक शक्तिशाली और सुसंगठित राज्य में परिवर्तित हुई।
बलबन का राजनैतिक जीवन इल्तुतमिश के दास के रूप में शुरू किया और शीघ्र अपनी योग्यता के बल दिल्ली सल्तनत का प्रधानमंत्री और नांसीरूद्दीन की मृत्यु के बाद सुल्तान बन गया।
वह अपनी सल्तनतकाल में नया राजत्व का सिद्धांत लागु किया. जो ईरानी शासकों से प्रभावित था। उसने केन्द्रीय सैन्य विभाग का गठन किया और सामंतों पर अंकुश लगाया।
उसकी न्याय व्यवस्था से सामंत भी अछुते नहीं थे। उसने आंतरिक विद्रोह का दमन किया और मंगोल आक्रमणकारियों को भारत में प्रवेश करने से रोक दिया।
बलबन सल्तनत, को शक्तिशाली अवश्य बनाया परंतु उसकी मृत्यु के बाद उसके शासन और वंश का अवसान हो गया।