मुगल शासन प्रणाली की सबसे अद्भुत विशेषता मनसबदारी प्रथा थी। इसका निर्माता अकबर था।
मनसबदार शब्द पदाधिकारी के लिए प्रयोग किया जाता था और इस पूरी व्यवस्था को मनसबदारी प्रथा कहा जाता था।
इस व्यवस्था के अन्तर्गत अकबर के शासन के तीन प्रमुख अंगों को अर्थात् सामंत, सेना एवं नौकरशाही को एक सामान्य व्यवस्था में संगठित कर दिया था।
अकबर द्वारा मनसब में युगल अंक प्रदान किये जाते थे जिसे जात मनसब और सवार मनसब कहा जाता था।
जात मनसब द्वारा किसी व्यक्ति का अधिकारियों के बीच स्थान या उसकी वरीयता का निर्धारण होता था।इसी के अनुसार उसका वेतन भी निर्धारित होता था।
सवार मनसब द्वारा किसी व्यक्ति के सैनिक दायित्व का निर्धारण होता था अर्थात् उसके अधीन सैनिकों की संख्या का निर्धारण होता था।