यूरोप की व्यापारिक कंपनियाँ भारत में व्यापार कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहती थीं। सभी यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत से एक ही तरह की चीजें खरीदती थीं। इस सूरत में बाजार पर एकाधिकार होने से ही किसी यूरोपीय कंपनी को सर्वाधिक मुनाफा हो सकता था। उन्हें शुल्कमुक्त व्यापार की सुविधा अथवा सम्पूर्ण बाजार पर अकेले व्यापार करने की सुविधा संबंधित बाजारक्षेत्र से जुड़ा राज्य ही दे सकता था। एक शासक यदि उन्हें ये सुविधाएँ देता तो दूसरा शासक उनके खिलाफ खड़ा हो जाता। या फिर उन्हें व्यापारिक सुविधाएँ देने वाला शासक ही बाद में उन पर तब रोक लगाने लगता जब राज्य में राजस्व की कमी हो जाती, जनता परेशान हो जाती। इन हालातों में यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने अपने व्यापारिक लाभ के लिए भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया ।