मुगलकाल में स्त्रियों की दशा काफी खराब थी। उन्हें पुरुषों के बराबर नहीं समझा जाता था। कुलीन वर्ग में स्त्रियाँ केवल भोग-विलास के लिए ही थी।
इन्हें स्वतंत्रता नहीं थी तथा 1 पर्दा प्रथा प्रचलित थी। बाल विवाह, बहुपत्नीत्व, सती प्रथा, पुत्रियों की बाल हत्या आदि कुरीतियाँ प्रचलित थीं।
स्त्री केवल माँ के रूप में पूज्यनीय थी। देवदासी प्रथा प्रचलित थी। निम्नवर्ग की स्त्रियाँ बाहर भी कार्य किया करती थीं। स्त्रियाँ व्यवसाय तथा वेश्यावृति भी करती थी।