कबीर का जन्म 1425 ई० में एक विधवा ब्राह्मण स्त्री के गर्भ से हुआ था, कहा जाता है कि लोक-लाज के डर से उसने कबीर को वाराणसी में लहरतारा के पास एक तालाब के समीप छोड़ दिया था।
तत्पश्चात् उनका पालन-पोषण एक जुलाहा दम्पति नीरू और नौमा के द्वारा किया गया। उन्होंने ही बालक का नाम कबीर रखा जो कि अरबी भाषा का शब्द है।
कबीर का अर्थ है महान (Grate) यथा नाम तथा काम की कहावत को चरितार्थ करते हुए हिन्दू-मुस्लिम एकता पर अत्यधिक बल देकर समाज में क्रांतिकारी विचार प्रतिपादित किये। अतः उन्हें क्रांतिकारी कबीर भी कहा जाता है।
कबीर ने हिन्दू तथा मुसलमान दोनों के बीच का भेद-भाव (Discrimination) समाप्त करने के लिए दोनों ही धर्मों की कुरीतियों तथा बाह्य आडम्बरों का जमकर विरोध किया।
जन्म के स्थान पर कर्म की महत्ता प्रतिपादित की। उन्होंने सभी प्रकार की असमानताओं का विरोध किया। उनके विचार बीजक नामक ग्रन्थ में संरक्षित है।