कबीर का नाम भी भक्ति आंदोलन को गति प्रदान करने वाले सन्तों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यद्यपि वे अधिक पढ़े लिखे नहीं थे किन्तु फिर भी उनमें विद्वता तथा ज्ञान की बहुतायत थी।
कबीर सांप्रदायिक एकता के पक्षपाती थे, तथा आडम्बरों के विरोधी थे। संक्षेप में कबीर (Kabir ) के सिद्धांत निम्नलिखित है—
- ईश्वर की एकता पर बल।
- निराकार निर्गुण ब्रह्म की उपासना पर बल।
- कबीर मूर्ति पूजा तथा बाह्य आडम्बरों का विरोध करते थे।
- वह जाति-पाँति में भी विश्वास नहीं करते थे तथा इसका विरोध करते थे।