चैतन्य (Chaitanya) भगवान कृष्ण के उपासक थे। उनका जन्म बंगाल के नदिया जिले में एक संभ्रान्त ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
बीस वर्ष की आयु में उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया था। कबीर तथा नानक के समान चैतन्य ने भी समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया तथा बंगाल में साम्प्रदायिकता सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया।
चैतन्य के सिद्धांतों में राधा-कृष्ण की प्रेम, भक्ति और उनकी लीलाओं का प्रधान्य है। उनका मानना था कि मानव को राधा की भांति कृष्ण प्रेम में रत रहना चाहिए।
उन्होंने कीर्तन, नृत्य तथा संगीत द्वारा कृष्ण भक्ति पर विशेष बल दिया। बंगाल, बिहार, उड़िसा में लोगों पर चैतन्य का काफी प्रभाव पड़ा।