जोतदार 18वीं सदी के अंत में उभरा हुआ वर्ग था वस्तुतः धनी कृषकों को जोतदार कहा जाता था जिसका विवरण फ्रांसिस बुकानन के सर्वे में हम पाते हैं।
जोतदारों के पास जमीनों के बड़े-बड़े रकबे होते थे जो कई हजार एकड़ में फैले होते थे और उनकी जमीनों पर उपज बटाईदार के माध्यम से की जाती थी।
ये बंटाईदार खेती करके उपज का आधा भाग जोतदार को दे देते थे। जोतदार गाँव में ही निवास करते थे तथा जमींदारों से अधिक प्रभावशाली होते थे।
क्योंकि गाँव के व्यक्तियों पर इनका सीधा नियंत्रण स्थापित था। जोतदार जमींदारों के निलाम की गयी जमीन को खरीद लेते थे।
इस प्रकार इनके पास जमीन की बड़ी-बड़ी रकबे थी और ये गाँव के स्तर पर प्रभावशाली व्यक्ति होते थे।
कभी-कभी तो ये सरकार और जमींदारों के आदेश और निर्देश को नजर अंदाज कर देते थे।