बेगम हजरत महल वाजिद अली शाह की पत्नी थी। मिर्जा विरजीस कादिर इनके पुत्र थे। कुशासन के आरोप में जब अंग्रेजों ने अवध को हड़प लिया और नवाब वाजिद अलीशाह को कलकत्ता निर्वासित कर दिया गया।
तब अवध के स्वदेशी सैनिक कमाण्डरों ने 13 वर्षीय विरजीस कादिर को अवध का ताज पहनाया और बेगम हजरत महल को संरक्षिका घोषित किया।
इसके बाद बेगम ने अंग्रेजों से 1857 ई० में टक्कर लेने के लिए अवध के प्रमुख ताल्लुकदारों और जमींदारों को शाही फरमान जारी कर युद्ध के लिए संगठित रहने का आदेश दिया।
इसके बाद बेगम लखनऊ में अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी। बाद में उसे नेपाल भागकर शरण लेनी पड़ी।