कृषि का वाणिज्यिकरण (Commericialization) का अर्थ होता था कृषि के लिए वैसे फसलों के उत्पादन पर जोर देना जो उद्योगों में कच्चा माल के रूप में प्रयोग होता है।
अंग्रेजों ने भी भारतीय कृषि का वाणिज्यिकरण कर धान और गेहूँ की जगह कपास, नील, गन्ना, पटसन आदि फसलों के उत्पादन पर जोर दिया।
इसमें उत्पादित वस्तुओं का मूल्य अंग्रेजी कंपनी अपने अनुसार तय करती थी। इससे भारत में बेरोजगारी, भूखमरी आदि समस्या उत्पन्न हुई।