सन् 1857 ई० के विद्रोह के पश्चात् मुसलमान सामान्यतः अंग्रेज विरोधी थे, परंतु अलीगढ़ आंदोलन और सैय्यद अहमद के प्रयासों से मुसलमानों की विचारधारा बदली।
उनमें अंग्रेजों के प्रति स्वामी भक्ति की भावना जगी। बंगभंग आंदोलन का लाभ उठाकर अंग्रेजों ने हिन्दू-मुसलमानों फूट डालकर उन्हें अपने पक्ष में करने का प्रयास किया।
इस उद्देश्य से मुसलमानों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्ण ढंग से विचार किया गया। अक्टूबर 1906 में मुसलमानों का एक प्रतिनिधि मंडल में
शिमला में लार्डमिंटों से मिला। इसका नेतृत्व आगा खाँ ने किया। प्रतिनिधि मंडल ने राजभक्ति प्रकट की तथा सांविधानिक और प्रशासनिक अधिकारों की मांग की।
मिंटो ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। इससे उत्साहित होकर मुसलमानों ने अपना राजनीतिक संगठन बनाने का प्रयास किया।
फलत: 30 दिसम्बर, 1906 ई० को ढाका में नवाब सली मुल्लाह और आगा खाँ ने ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना की।