नौवीं और ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य, बंगाल (बांग्लादेश सहित) और बिहार में मूर्तिकला की किस शैली का प्रयोग किया जाता था? Nauvi Aur Egrahvi Shatabdi Ke Madhya Bangal (Bangladesh Sahit) Aur Bihar Mein Murti Kala Ki Kis Shaili Ka Prayog Kiya Jata Tha?
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नौवीं और ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य, बंगाल (बांग्लादेश सहित) और बिहार में मूर्तिकला की किस शैली का प्रयोग किया जाता था? Nauvi Aur Egrahvi Shatabdi Ke Madhya Bangal (Bangladesh Sahit) Aur Bihar Mein Murti Kala Ki Kis Shaili Ka Prayog Kiya Jata Tha?

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नौवीं और ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य, बंगाल (बांग्लादेश सहित) और बिहार में मूर्तिकला की पाल शैली (Pala Style) का प्रयोग किया जाता है।

  • बंगाल के पाल शासक बौद्ध धर्म के मानने वाले थे।
  • पाल युग में बुद्ध, अवलोकितेश्वर, मैत्रेय, हरिति, बोधिसत्व, मंजूश्री, तारा आदि की मूर्तियाँ बनायी गई।
  • पालकालीन मूर्तिकला पर सारनाथ कला का प्रभाव माना गया है जिसके अंदर हल्के, इकहरे और पारदर्शी वस्त्र पहनी मूर्तियाँ प्रमुख है।
  • पालकालीन मूर्तियाँ का निर्माण गया और राजमहल (बिहार) से मिलने वाले भूरे और काले रंग के मुलायम बेसाल्ट पत्थर से हुआ है।
  • नालंदा, गया, काशीपुर, शंकरबंध, कुर्किहार आदि पाल मूर्तिकला के प्रमुख स्थल है।
  • पाल कला में काँस्य की प्रतिमा बनाने में धीमन और पिठ्पाल ने महारथ हासिल कर लिए थे।

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