मेरा प्रिय खेल पर निबंध | Mera Priya Khel Par Nibandh
खेलना मानव की प्रवृत्ति है, वह इसे छोड़ नहीं सकता। शिशु हो या बालक, किशोर हो या युवा, प्रौढ़ हो या वृद्ध, सभी कोई-न-कोई खेल अवश्य खेलते हैं।
अत्यंत अशक्त वृद्ध भी बच्चों के साथ खेलकर या उन्हें खेलाकर अनिर्वचनीय आनंद का अनुभव करते हैं।
मानवेतर प्राणिजगत में भी खेल की स्वाभाविक एवं सहज प्रवृत्ति पाई जाती है। मेरा प्रिय खेल क्रिकेट (Cricket) है।
खेल से आनंद की प्राप्ति होती है। मनोरंजन के अनेक साधनों में खेल भी एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
खेल से मनोरंजन तो होता ही है, साथ ही ताजगी का भी अनुभव होता है। ताजगी का अनुभव मानव को पुनर्जीवन प्रदान करता है।
वह अपेक्षित कर्मनिष्ठा से भर उठता है। खेल जीवन का अवसाद दूर करता है। खेल केवल खेल नहीं होता, यह हमारा शिक्षक भी होता है।
इसके माध्यम से हम एकता, सहयोग, योजना निर्माण तथा उसे प्राप्त करने के लिए धैर्य एवं संघर्ष की महत्ता से भी परिचित होते हैं।
क्रिकेट के खेल में उपर्युक्त सारे तत्त्व विद्यमान होते हैं। खेल हमारे शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ बनाता है।
यह हमें जीवन की अनेक सच्चाइयों से परिचित कराता है। क्रिकेट के खेल में शरीर और मन का समन्वय होता है। इसलिए, मैं इस खेल को बहुत पसंद करता हूँ।
खेल से शारीरिक विकास (Physical Development) के साथ ही संघर्ष करने की क्षमता का भी विकास होता है।
यह हमें संघर्षशील बनाता है तथा लक्ष्योन्मुख करता है। क्रिकेट के खेल में ये सारी विशेषताएँ पाई जाती हैं।
खेल के प्रति अनपेक्षित रुचि होने के कारण छात्रों का अध्ययन बाधित होता है।
विद्यार्थियों को अध्ययन और खेल में संतुलन बनाकर चलना चाहिए।
अन्यथा, परीक्षाफल पर बुरा प्रभाव पड़ता है। क्रिकेट के खेल में चोट लगने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
तेज गति के बॉल से सिर में चोट लगने के कारण के कई खिलाड़ियों की मृत्यु भी हो गई है।
आर्थिक दृष्टि (Financially) से भी आजकल खेल बहुत महत्त्वपूर्ण हो गए हैं। आज के युवा इन्हें कैरियर केरूप में ले रहे हैं। क्रिकेट का खेल इस दृष्टि से अग्रणी है।