वर्षा ऋतु पर निबंध | Varsha Ritu Par Nibandh
128 views
1 Vote
1 Vote

वर्षा ऋतु पर निबंध | Varsha Ritu Par Nibandh Or Essay on Rainy Season in Hindi Or वर्षाऋतु पर निबंध लिखें।

1 Answer

0 Votes
0 Votes
 
Best answer

वर्षा ऋतु पर निबंध | Varsha Ritu Par Nibandh

विविध ऋतुओं के देश भारत में वर्षाऋतु का अपना विशिष्ट रंग-रूप और महत्त्व है।

“राजा वसंत वर्षा ऋतुओं की रानी, लेकिन दोनों की कितनी भिन्न कहानी। राजा के मुख में हँसी, कंठ में माला, रानी का अंतर विकल, दृगों में पानी।।"

कवि दिनकर (Dinkar) की इन पंक्तियों से वर्षाऋतु का दृश्यावलोकन पूर्णतया प्रदर्शित होता है।

वसंत ऋतुओं का राजा और वर्षा को ऋतुओं की रानी कहते हैं। यह ऋतु बड़ी आकर्षक और सुहानी होती है।

ग्रीष्मऋतु के बाद इस ऋतु का आगमन होता है। भारत में मानसून की प्रथम वर्षा प्रायः मध्य जून (June) में होती है।

इसके बाद वर्षा होने का क्रम शुरू हो जाता है। सितंबर तक समय-समय पर वर्षा होती रहती है।

मध्य जून या अंतिम जून से सितंबर तक की अवधि को हम वर्षाऋतु में परिगणित करते हैं। पशु-पक्षी, जीव-जंतु, पेड़-पौधे सभी इस ऋतु का स्वागत करते हैं।

क्योंकि यह ऋतु इन्हें जीवन (जल) प्रदान करती है। चढ़ते आषाढ़ में जब आकाश में बादल घिरने लगते हैं तब सबके मन में झमाझम वर्षा की कल्पना से आनंद की लहरें मचलने लगती हैं।

किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता! बच्चे उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देखकर प्रसन्न हो जाते हैं और उछल-कूद मचाने लगते हैं।

पहली वृष्टि होती है, सबकी प्रतीक्षा सुहागिन होती है। बच्चे झमाझम वर्षा में चहक चहककर स्नान करने लगते हैं। किसान (Farmer) फसलों के संबंध में योजनाएँ बनाने लगते हैं।

वर्षाऋतु का आगमन भारतीय किसानों के लिए एक सुखद वरदान से कम नहीं होता। भारत कृषि प्रधान देश है।

यहाँ की कृषि वर्षा पर ही आधृत है। इस ऋतु में वांछित वृष्टि होने पर खरीफ खाद्यान्न संतोषजनक होता है।

रबी की पर्याप्त और संतोषजनक उपज वर्षा के जल पर ही निर्भर है।

वर्षाऋतु में समय और अनुपात से वर्षा होने पर पीने के पानी की समस्या भी हल हो जाती है। वास्तव में, वर्षाऋतु जीवनदात्री ऋतु है।

समुचित वर्षा आर्थिक संपन्नता की आधार है। वर्षाऋतु में आनुपातिक वर्षा आर्थिक सम्पन्नता लेकर आती है।

धान, मकई और बाजरे की अच्छी फसल से किसान निहाल हो उठते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाती है।

वर्षाऋतु में पर्याप्त वर्षा होने से खरीफ तो अच्छी होती है, साथ ही पीने के पानी की समस्या का निदान भी हो जाता है।

यह ऋतु प्रकृति को हरे रंग से शृंगारित करती है। इस ऋतु में हरे रंग का परिधान धारण करनेवाली प्रकृति सबका मन मोह लेती है।

वर्षा के अभाव में कृषि चौपट हो जाती है। वर्षाधिक्य से भी फसल बरबाद हो जाती है। संतुलित वर्षा कृषि के लिए उपयोगी होती है।

वर्षाऋतु विष्णुभार्या की तरह समस्त जगत की पोषिका है। इस ऋतु में पर्याप्त से अधिक वर्षा होने पर नदियों में बाढ़ आ जाती है, जिससे जान-माल की अपार क्षति होती है।

वर्षाऋतु प्राणदायिनी ऋतु है। जल ही जीवन है और वर्षाऋतु जलदात्री है, अतः इसकी महत्ता स्वयंसिद्ध है। भारत की कृषि पूर्णतः वर्षा पर निर्भर है।

RELATED DOUBTS

1 Answer
1 Vote
1 Vote
481 Views
1 Answer
1 Vote
1 Vote
141 Views
1 Answer
1 Vote
1 Vote
90 Views
1 Answer
8 Votes
8 Votes
169 Views
2 Answers
6 Votes
6 Votes
44 Views
2 Answers
2 Votes
2 Votes
363 Views
0 Answers
6 Votes
6 Votes
20 Views
Peddia is an Online Question and Answer Website, That Helps You To Prepare India's All States Boards & Competitive Exams Like IIT-JEE, NEET, AIIMS, AIPMT, SSC, BANKING, BSEB, UP Board, RBSE, HPBOSE, MPBSE, CBSE & Other General Exams.
If You Have Any Query/Suggestion Regarding This Website or Post, Please Contact Us On : [email protected]

CATEGORIES