एस-तरंगे (S-Waves) भूकंपीय तरंगों में अनुप्रस्थ विस्थापन शामिल होता है।
जिस स्थान से भूकम्पीय तरंगे उत्पन्न होती है उसे भूकंप मूल (Focus) कहते हैं ।
जिस स्थान पर सबसे पहले भूकम्पीय तरंगों का अनुभव किया जाता है उसे भूकम्प केन्द्र कहते हैं।
भूकम्पीय तरंगों को 3 श्रेणियों में बांटा जाता है—
(a) प्राथमिक तरंगे (Primary or longitudinal waves) — प्राथमिक तरंग की विशेषता निम्न है—
(i) ये अनुदैर्ध्य प्रकृति की होती है।
(ii) भूकंपीय तरंगों में सर्वाधिक तीव्र गति इसी की होती है।
(iii) ये ठोस के साथ-साथ तरल में भी गुजर सकते हैं।
(iv) 5 तरंगों की तुलना में इसकी गति 66% अधिक होती है।
(b) द्वितीयक अथवा अनुप्रस्थ तरंगें (Secondary or Fransverse waves) — द्वितीय तरंगें की विशेषता निम्न है—
(i) इसकी प्रकृति अनुप्रस्थ होती है अर्थात ये प्रकाश तरंगों के समान चलती है।
(ii) ये केवल ठोस माध्यम में ही गमन कर सकता है।
(iii) पृथ्वी के क्रोड से गुजर नहीं पाती है।
(iv) P- तरंगों की तुलना में इसकी गति 40% कम होती है।
(c) धरातीय तरंगें (Surface or Long Period Waves) — धरातीय तरंगें की विशेषता निम्न है—
(i) ये पृथ्वी के ऊपरी भागों को ही प्रभावित करती है।
(ii) ये तरंगे सबसे लम्बा मार्ग तय करती है इसका प्रभाव सबसे विनाशकारी होता है।
(iii) इसका प्रभाव सबसे विनाशकारी होता है।