भारत शासन अधिनियम 1909 अथवा मार्ले-मिंटो सुधार 1909 की प्रमुख विशेषताएं हैं-
भारतीयों को भारत सचिव एवं गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद में प्रथम बार नियुक्ति की गई। सांप्रदायिकता को वैधानिकता प्रदान करने के कारण लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन का जनक के रूप में जाना गया।
जब यह अधिनियम बना उस समय भारत के राज्य सचिव के पद पर लॉर्ड मार्ले नियुक्त थे तथा लॉर्ड मिंटो भारत के वायसराय थे।
- इस अधिनियम के द्वारा पहली बार मुसलमानों के लिए अलग से निर्वाचन की व्यवस्था की गई। ऐसा हिंदू-मुस्लिम के बीच के मतभेद की खाई को और चौड़ा करने के अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो (Divide and Rule Police) की नीति के तहत हुआ।
- प्रांतीय विधान परिषदों की संख्या को बढ़ाया गया।
- सत्येंद्र प्रसाद सिंहा वायसराय की कार्यपालिका परिषद का सदस्य बनने वाले प्रथम भारतीय बने।
- केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों को बजट पर वाद-विवाद करने का प्रथम बार अधिकार मिला। पूरक प्रश्न पूछने और मत देने का अधिकार मिला साथ ही सार्वजनिक हितों के विषय पर प्रस्ताव पेश करने का भी अधिकार प्रथम बार हासिल हुआ।