भारत शासन अधिनियम 1919 ईस्वी अथवा मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार 1919 ईस्वी के बारे में आप क्या जानते हैं?
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भारत शासन अधिनियम 1919 ईस्वी अथवा मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार 1919 ईस्वी के बारे में आप क्या जानते हैं? Or, Bharat Shasan Adhiniyam 1919 Montagu Chemsford Sudhar 1919 Ke Bare Mein Aap Kya Jante Hai?

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भारत शासन अधिनियम 1919 अथवा मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार के द्वारा तत्कालीन भारत के राज्य सचिव इ. एस. मोंटेग्यू तथा वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने ब्रिटिश नीतियों के उस उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास किया।

जिसके अनुसार भारत में एक उत्तरदायी प्रशासन का लक्ष्य रखना और प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ाना था।

इस अधिनियम के मुख्य विशेषताएं इस प्रकार थी-

  • प्रथम बार भारत में लोक सेवा आयोग का गठन किया गया। जिसके तहत 1926 में ली आयोग (कार्यकाल 1923-24) की सिफारिश पर सिविल सेवकों की भर्ती हेतु केंद्रीय लोक सेवा आयोग का गठन किया गया।
  • प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत की गई (जिसके जनक लियोनास कार्टियस थे) जिसमें प्रांतीय विषयों को दो वर्गों में विभाजित किया गया।

i. आरक्षित विषय- इसके तहत आते थे वित्तीय, न्याय, पुलिस, भूमि कर, अकाल सहायता, पेंशन, आपराधिक जातियां, समाचार पत्र, छापाखाना, कारखाना, गैस, मोटर गाड़ियां, बॉयलर, औद्योगिक विवाद, सिंचाई, जल मार्ग, सार्वजनिक सेवाएं, खान, बिजली, श्रमिक कल्याण, छोटे बंदरगाह आदि। 

ii. हस्तांरित विषय- सार्वजनिक निर्माण विभाग, शिक्षा, चिकित्सा सहायता, स्थानीय स्वायत्त शासन, आबकारी, तौल तथा मापन धार्मिक तथा अग्रहार दान, पुस्तकालय, संग्रहालय उद्योग, सार्वजनिक मनोरंजन पर नियंत्रण आदि ।

  • आरक्षित विषयों का प्रशासन गवर्नर को अपनी कार्यकारी परिषद के माध्यम से करना था। जबकि हस्तांतरित विषय का प्रशासन प्रांतीय विधानमंडल के प्रति उत्तरदाई भारतीय मंत्रियों के द्वारा किया जाना तय किया गया।

द्वैध शासन प्रणाली ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाया जब दोनों सदनों में मतभेद के स्वर उग्र होते गए, तो 1935 के एक्ट के द्वारा इस प्रणाली को रद्द कर दिया गया।

  • भारत सचिव को यह अधिकार प्रथम बार प्राप्त हुआ कि वह किसी भारतीय को बतौर महालेखा परीक्षक नियुक्त कर सकता है।
  • केंद्र में द्विसदनात्मक विधायिका की स्थापना की गई जिसमें प्रथम थी राज्य परिषद तथा दूसरी केंद्रीय विधानसभा। बजट पर स्वीकृति कीर्ति प्रदान करने का अधिकार निचले सदन को ही प्राप्त था।

राज्य परिषद के सदस्यों की कुल संख्या 60 थी।जिनमें 34 निर्वाचित होते थे और उनका कार्यकाल 5 वर्षों के लिए होता था।

वहीं केंद्रीय विधान सभा के सदस्यों की संख्या 144 थी। जिनमें सिर्फ 40 मनोनीत होते थे और 104 निर्वाचन होता था, जिनका कार्यकाल 3 वर्षों का होता था।

दोनों सदनों को समान अधिकार प्राप्त है किंतु बजट पर स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार केवल निचले सदन को ही दिया गया।

Note : भारत शासन अधिनियम 1919 के द्वारा भारत में प्रथम बार महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला

इस अधिनियम में केंद्रीय विधान मंडल (सभा) में वायसराय के अध्यादेश जारी करने की शक्तियों को निम्नलिखित रुप में बनाए रखा गया-

i. कुछ विषयों से संबंधित विधेयकों को विचार अर्थ प्रस्तुत करने के लिए उसकी पूर्व अनुमति जरूरी थी।

ii. उसे भारतीय विधानसभा द्वारा पारित किसी भी विधेयक को वीटो करने या सम्राट के विचार के लिए आरक्षित करने की शक्ति थी।

iii. उसे यह शक्ति थी, कि विधान मंडल द्वारा नामंजूर या न पारित किए गए। किसी विधेयक या अनुदान को प्रमाणित कर दें, जिससे कि वह पारित विधेयक के सामान प्रभावी हो जाता था। 

iv. उसे आपात स्थिति में अध्यादेश बनाने की शक्ति थी। जिनका अस्थाई अवधि के लिए विधिक प्रभाव होता था।

  • एक वैधानिक आयोग का गठन किया गया। जिसका कार्य 10 वर्ष बाद जांच करके अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना था।
  • प्रथम बार केंद्रीय बजट को राज्यों के बजट से अलग किया गया।
  • इस अधिनियम के तहत वायसराय की कार्यकारी परिषद में 6 सदस्यों में से (commander-in-chief) को छोड़ के 3 सदस्यों का भारतीय होना आवश्यक था।
  • पृथक निर्वाचन व्यवस्था में हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य को बढ़ाया। जिससे सांप्रदायिक वैर-भाव को बढ़ावा मिला।
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