भारत में चार जैव विविधता हॉटस्पॉट मौजूद है।
जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1985 में डब्ल्यू० जी० रोजेन द्वारा किया गया था।
जैव विविधता का मापन निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है—
(i) अल्फा विविधता – किसी एक निश्चित क्षेत्र के समुदाय या परितंत्र में उपस्थित प्रजातियों की कुल संख्या को अल्फा विविधता की संज्ञा से अभिहित किया जाता है।
(ii) बीटा विविधता – किसी क्षेत्र विशेष में उपस्थित प्रजातियों की संरचनात्मक विविधता को बीटा विविधता कहते है।
(iii) गामा विविधता – किसी एक भौगोलिक क्षेत्र विशेष में उपस्थित विविध प्रजातियों के मध्य अन्तः सम्बन्ध का ज्ञान गामा विविधता कहलाता है।
भारत का हॉटस्पॉट क्षेत्र निम्न है—
(i) हिमालयन क्षेत्र
(ii) इण्डो-बर्मा क्षेत्र
(iii) पश्चिमी घाट एवं श्रीलंका क्षेत्र
(iv) सुण्डालैण्ड क्षेत्र