Ans : सूचना प्रौद्योगिकी के विकास में संचार साधनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। आज अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों, संचार उपग्रहों एवं कम्प्यूटर नेटवर्क ने संचार माध्यम को इतना प्रभावी कर दिया कि विश्व के किसी भी स्थान में घटने वाली घटनाओं की क्षण-प्रतिक्षण जानकारी घर बैठे प्राप्त की जा रही है।
संचार तंत्र को सामान्यतः तीन भागों में बाँटा गया है,जो निम्नलिखित हैं—
- प्रेषण
- संचरण तथा
- अभिग्रहण
प्रेषित से ग्राही में मध्य रेडियो तथा माइक्रो (सूक्ष्म) तरंगों के संचरण तथा प्रकाशीय तन्तुओं द्वारा प्रकाश का संचरण होता है। इसमें आयनमण्डल की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण है।
संचार साधनों जैसे- टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, कम्प्यूटर नेटवर्क आदि द्वारा मुख्यतः ध्वनि, संगीत, भाषण तथा दृश्य प्रसारण किया जाता है।
रेडियो तरंगों द्वारा उसके सफलतापूर्वक प्रसारण हेतु मॉडुलन तथा संसूचन अभिक्रियाएँ की जाती है।
मॉडुलन में निम्न आवृत्ति की श्रव्य तरंगों को उच्च आवृत्ति की वाहक या रेडियो तरंगों के साथ मिश्रित कर उच्च आवृत्ति की परिणामी तरंग केन्द्र पर किया जाता है।
संसूचन में मॉडुलित तरंगों में से श्रव्य तरंगों को ग्राही केन्द्र के वाहक तरंगों से अलग किया जाता है।