भू- तरंगें (Bhoo-Tarangen) : इस विधि में रेडियो तरंगें सीधे एक स्थान से दूसरे स्थान तक पृथ्वी के तल के अनुदिश भेजी जाती है। अतः, यह तरंग पृथ्वी की वक्रता के कारण मुड़ सकती है।
इस विधि द्वारा 1500 किलोहर्ट्ज से कम आवृत्ति वाली रेडियो तरंगें ही संचरित की जा सकती है। इसे मध्यम तरंग बैंड कहते हैं।