Ans : यह विधि वैसी धातुओं के लिए प्रयुक्त की जाती है जिनके अयस्क के कण तेल द्वारा और अशुद्धियाँ जल द्वारा भींग जाएँ।
अयस्क को खूब महीन पीसकर पाइन के तेल या यूकेलिप्टस के तेल मिले हुए पानी के साथ हवा के झोंके से झाग पैदा करते हैं।
इसके लिए पानी में थोड़ा जैंथेट भी मिला दिया जाता है। पाइन का तेल या जैंथेट अयस्क के कणों को जल से अलग कर देता है और ये कण झाग के साथ ऊपर आ जाते हैं और जल से भींगे गैंग बरतन की पेंदी में नीचे बैठ जाते हैं।
जिंक ब्लेंड (ZnS), गैलेना (PbS), कॉपर पाइराइट (CuFeS2) आदि अयस्कों का सांद्रण इसी विधि द्वारा किया जाता है।