इस अवधि में वैसे उद्योगों को बढ़ावा दिया गया, जो निर्यात (export) करने वाले सामानों का उत्पादन करते थे और जो राष्ट्र के लिए लाभदायक थे, जैसे-पटसन और चाय। साथ ही, वैसे माल का भी उत्पादन हुआ जिसमें विदेशी प्रतिद्वंदिता अधिक नहीं थी, जैसे- मोटा कपड़ा।
प्रथम विश्व युद्ध (First world war) के दौरान भारतीय उद्योगों को लाभ (profit) हुआ। उनमें उत्पादित सामान के लिए देश-विदेश में मंडी मिली, ठेले मिले तथा कच्चा माल कम मूल्य पर उपलब्ध हुआ और उत्पादित माल के मूल्य भी बढ़ गए।