18वीं शताब्दी में बाड़ाबंदी कानून बनने से छोटे किसान अपनी जमीन खो बैठे। ऐसी परिस्थिति में उनके सामने आजीविका (livelihood) अर्थात अपने रोजी-रोटी का प्रश्न उठ खड़ा हुआ। फलत:, वे शहरों की ओर बढ़े।
शहरों में औद्योगिकरण (industrialization) और कारखानों (factories) की स्थापना से उन्हें रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हुए। यहाँ उन्हें वस्त्र उद्योग, धातु एवं इंजीनियरिंग उद्योग, छपाई, यातायात इत्यादि में नौकरी मिली। अतः कहा जा सकता है, कि व्यवसाय (business) की तलाश में बड़ी संख्या में श्रमिक वर्ग शहरों की ओर आकृष्ट हुए।