पर-परागण को परिभाषित करें। पर-परागण के विभिन्न अभिकर्मकों को लिखें। Par-Paragan Ko Paribhashit Karen Per Paragan Ke Vibhinn Abhikarmokon Ko Likhen
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पर-परागण को परिभाषित करें। पर-परागण के विभिन्न अभिकर्मकों को लिखें। Par-Paragan Ko Paribhashit Karen Per Paragan Ke Vibhinn Abhikarmokon Ko Likhen 

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पर-परागण (Par-Paragan) : परागकण नर-जनन-इकाई हैं जो परागकोष में उत्पन्न होते हैं। पौधों में निषेचन उसी अवस्था में संभव है जबकि परागकण जायांग के वर्तिकाग्र तक पहुँचे। अतः इस क्रिया को जब परागकण परागकोष से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के दूसरे पुष्पों के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं, पौधों में निषेचन उसी अवस्था में परागकण कहते हैं।

पर-परागण के दो प्रकार का होता है, जिनके नाम निम्नांकित है–

  • स्वपरागण : जब एक ही पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हों या पौधो के अन्य पुष्प पर के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हों।
  • परपरागण : जब एक पुष्प के परागकण, दूसरे पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हों। परपरागण के विभिन्न अभिकर्मक वायु, जल, कीट, पक्षी, पशु आदि हैं।

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