आनुवंशिक विचलन (Genetic deviation) : सीवेल राइट के मतानुसार किसी निश्चित दिशा में विभिन्नताएँ होने से उसे जैव विकास कहते हैं। हम जानते हैं कि सभी आबादियाँ बडी नहीं होतीं।
कोई भी बड़ी आबादी का कुछ भाग अक्सर किसी घटनावश अपने मूल अंतः प्रजनकों से पृथक कर दिया जाता है।
इसलिए, संयोगवश किसी एक या दूसरे एलील के विषमयुग्मनजी जीन समयुग्मनजी जीन में परिवर्तित हो जाते हैं। इस जीन परिवर्तन को आनुवंशिक विचलन कहते हैं।