उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्नस्तर के निम्नलिखित दो महत्त्वपूर्ण कारण हैं—
i. गरीबी (Poverty)— गरीबी वंचित रहने की अवस्था है। यह व्यक्ति की सतत, स्वस्थ और यथोचित उत्पादक जीवन जीने के लिए आवश्यक जरूरतों को संतुष्ट न कर पाने की असमर्थता को प्रतिबिंबित करती है।
उड़ीसा और बिहार की 40 प्रतिशत से अधिक और मध्यप्रदेश, सिक्किम, असम, त्रिपुरा, अरुणाचलप्रदेश, मेघालय, नागालैंड की 30 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे हैं।
इन सभी राज्यों में प्रति व्यक्ति आय और उपभोग पर खर्च राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। अत: इन राज्यों में मानव विकास का स्तर निम्न है।
ii. साक्षरता का निम्न स्तर (Low level of literacy)– विकास मुक्ति है और मुक्ति का रास्ता साक्षरता से होकर जाता है। उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में साक्षरता का स्तर निम्न है।
उदाहरणस्वरूप, बिहार में केवल 47.50 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 54.74 प्रतिशत, जम्मू और कश्मीर में 54.46 प्रतिशत और झारखण्ड में 54.13 प्रतिशत व्यक्ति ही साक्षर हैं।
इन सभी राज्यों में स्त्री साक्षरता तो और भी निम्न है। अत: इन राज्यों में मानव विकास के स्तर निम्न हैं।