जीवन निर्वाहक कृषि (subsistence farming) में घनी जनसंख्या के कारण उत्पादन केवल स्वयं जीवन निर्वाह के लिए किया जाता है।
इसमें उत्पादन निर्वाह स्तर पर ही रहता है और बिक्री के लिए अवशेष बहुत कम रहता है। यह दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी एशिया के मानसून जलवायु क्षेत्र में प्रचलित है।