भारत (India) की छाल वाली रेशेदार फसलों में जूट (Jute) सर्वप्रथम है, जिससे रस्सी, टाट, बोरा, गलीचा इत्यादि वस्तुएँ बनाई जाती हैं।
इसके पौधे दो से चार मीटर ऊँचे होते हैं। पौधों को काटने के बाद पानी में सड़ाया जाता है। फिर उससे छाल को अलग कर उसे खूब पीटा जाता है, जिससे उसके रेशे निकल आते हैं।
इस रेशे की बिक्री होती हैं इस कारण इसे नकदी फसल माना जाता है। जूट उद्योग का यह कच्चा माल है।
जूट उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु का पौधा है। इसकी खेती के लिए 25° से 30° से०ग्रे० तापमान, 100 से 200 सेंमी० वर्षा और डेल्टाई मिट्टी की आवश्यकता होती है।
जूट को सड़ाने के लिए तालाब या जलाशय आवश्यक हैं। पश्चिम बंगाल में जूट के उत्पादन की सारी भौगोलिक आवश्यकताएँ पूरी होती हैं।
पश्चिम बंगाल (West Bengal) को भारत का जूट क्षेत्र कहा जाता है। देश का दो-तिहाई जूट अकेला यही राज्य उत्पन्न करता है।
इस राज्य के 4 लाख हेक्टेयर भूमि में जूट का उत्पादन होता है। मुख्य उत्पादन क्षेत्र राज्य के पूर्वी भाग में हुगली नदी के किनारे स्थित हैं।
मुर्शिदाबाद, दीनाजपुर, कूच बिहार, हुगली, 24-परगना, नादिया, जलपाईगुड़ी माल्दा, बर्द्धमान और हावड़ा जिले जूट उत्पादन के लिए विख्यात हैं।