कुटीर उद्योग या गृह उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। इसमें शिल्पकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते हैं एवं साधारण औजारों द्वारा परिवार के सदस्य मिलकर वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
तैयार माल का या तो वे स्वयं उपभोग करते हैं या इसे स्थानीय गाँव के बाजार में विक्रय कर देते हैं। इस उद्योग से दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयाँ, बरतन, औजार, फर्नीचर, जूते एवं छोटी मूर्तियाँ उत्पादित की जाती हैं।
लघु उद्योग कुटीर उद्योग से भिन्न होता है। इसमें भी स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है, किंतु इसका कारखाना घर से बाहर रहता है एवं अर्द्धकुशल श्रमिक तथा शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
रोजगार के अवसर इसमें अधिक होते हैं। भारत, चीन, इंडोनेशिया एवं ब्राजील जैसे देश अपनी जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए इस प्रकार के उद्योगों में बिजली, इलेक्ट्रानिक खिलौने, मशीनों के पुर्जे, वस्त्र इत्यादि का निर्माण कर रहे हैं।