भारत में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या (Population) के लिए सभी क्षेत्रों में पानी की माँग बढ़ रही है। जल की माँग पेयजल और उद्योगों के अतिरिक्त सिंचाई में अपेक्षाकृत अधिक बढ़ रही है।
वर्तमान समय में धरातलीय जल का 89% और भूमिगत जल का 92% जल का उपयोग सिंचाई और कृषि में हो रहा है। यही कारण है कि देश में जल-संसाधनों में तेजी से कमी आ रही है।
देश में औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 1951 में 5177 घनमीटर थी, जो घटकर 2001 में 1829 घनमीटर रह गयी और यही स्थिति रही तो 2025 में यह 1342 घन मीटर रह जाएगी।
1000 घनमीटर औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता पर जल संकट पैदा हो जाता है।