भारत और अन्य ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में चीनी उद्योगों का कच्चा-माल गन्ना है। गन्ना एक भार ह्रास वाली फसल है।
खेतों में काटकर एकत्रित करने से लेकर ढुलाई की अवधि तक इसमें सुक्रोज की मात्रा सूखती रहती है। गन्ने के खेत से काटने के 24 घंटे के अंदर तक ही पेरा जाए तो अधिक चीनी की मात्रा प्राप्त होती है।
इस कारण गन्ने का भंडारण लंबे समय तक नहीं हो सकता है। गन्ना एक मौसमी फसल है, जिसे निश्चित अवधि में ही काटा जाता है।
अतः गन्ने की पेराई की अवधि निश्चित होती है और चीनी मिले कुछ ही महीनों तक चलती है। इस कारण चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग (Seasonal industry) है।