महिलाओं को समाज, व्यवस्था, विकास तथा सहभागिता के क्षेत्र में मुख्य धारा में लाना ही महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य है।
कोई भी समाज या व्यवस्था अपनी आधी आबादी को उपेक्षित छोड़कर या नजर-अंदाज कर विकास का दावा नहीं कर सकती है।
महिलाओं का आगे बढ़ना परिवार के लिए भी लाभदायक है। इसका अर्थ यह नहीं कि महिलाओं को पुरुषों के विरोधी के रूप में खड़ा करना है, बल्कि उन्हें सक्षम सहयोगी के रूप में आगे लाना है।
इसके लिए स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है तथा विधायिकाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान का प्रयास जारी है।