विदेशियों के द्वारा बार-बार लूटने, रौंदने से भारत माता का चित्र विकीर्ण हो गया है।
मुगलों के बाद अंग्रेजों ने लूटना शुरू कर दिया है। आज यह दूसरों के द्वारा रौंदी जा रही है।
जिस तरह धरती सबका बोझ सहन कर लेती है उसी तरह यह भारत माता भी सबका धौंस, उपद्रव आदि सहज भाव से सहन कर रही है।
चंद्रमा अनायास राहु द्वारा ग्रसित हो जाता है। उसी तरह यह धरती भी विदेशी आक्रमणकारीसदृश राहु से ग्रसित हो रही है।