गुप्त काल (Guptkal) में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न शाखाओं का उल्लेखनीय विकास हुआ।
गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट की रचना आर्यभट्टीयम सर्वप्रमुख है। इसमें अंकगणित, बीजगणित, तथा रेखागणित की विवेचना है।
शून्य का आविष्कार एवं पाई (m) का मान 3.14 इन्होंने ही बताया। ज्योतिष के क्षेत्र में पृथ्वी गोल है, सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण आदि की जानकारी दी गई है।
वराहमिहिर की रचना पंच सिद्धांतिक इसी समय की रचना है।
आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में चरक एवं सुश्रुत इसी समय हुए थे। नागार्जुन रसायन और धातु विज्ञान के प्रमुख ज्ञाता थे।