महात्मा बुद्ध (Mahatma Buddh) के मृत्यु के पश्चात् बौद्ध धर्म के अनुयायियों में मतभेद एवं आन्तरिक संघर्ष शुरू हो गया था।
इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए समय-समय पर बौद्ध समितियों अथवा सभाओं का आयोजन किया गया। इस प्रकार चार संगीतियाँ अथवा सभायें बुलाई गई थीं।
इसमें चतुर्थ बौद्ध संगीति जिसका आयोजन कनिष्क के शासनकाल में कश्मीर के कुण्डलवन विहार में बुलाया गया था, सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। इस संगीति के सभापति महान बौद्ध विद्वान अश्वघोष थे।
इस संगीति के अवसर पर बौद्ध धर्म दो सम्प्रदाय हीनयान और महायान में विभाजित हो गया। इस संगीति के अवसर पर त्रिपिटक पर भाष्य लिखे गये।