19वीं शताब्दी के अंतिम चरण और 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उग्रवादी आन्दोलन का विकास हुआ। इस आन्दोलन का केन्द्र बंगाल था, यद्यपि भारत के अन्य भागों में यह आन्दोलन प्रभावशाली था।
इस आन्दोलन में अधिकांश शिक्षित मध्यम वर्ग के युवा शामिल थे। इसमें महाराष्ट्र के चापेकर बंधु बंगाल के अरबिन्दु घोष, पंजाब के लाला लाजपत राय, लाला हरदयाल प्रमुख थे।
इन्होंने अपने त्याग, बलिदान और देश प्रेम की भावना से भारतीयों में एक नई आशा और उत्साह का सृजन किया। उनका प्रभाव राष्ट्रीय आन्दोलन पर व्यापक रूप से पड़ा।