किसी कारणवश पृथ्वी के अंदर तप्तस्थल (Hot-Spot) का निर्माण हो जाता है। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है, तो भाप (Vapour) उत्पन्न होती है।
यही तत्प जल अनुकूल परिस्थिति में ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इसे ही भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) कहा जाता है।