ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) : पृथ्वी के औसत वार्षिक तापक्रम में वृद्धि को वैश्विक ऊष्मण कहते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के कुछ प्रभाव इस प्रकार है—
- CO2 की सांद्रता में वृद्धि से प्रकाश-संश्लेषण की दर में वृद्धि होगी। जिससे स्टोमेटा के परिवहन क्षमता में कमी आती है।
- भूमंडलीय औसत तापक्रम में वृद्धि से ध्रुवीय बर्फ पिघलेगी जो बाढ़ तथा सूखे को बढ़ाएगी। कुछ निम्न भूमि पानी में डूब जाएगी।
- तापक्रम में परिवर्तन से बहुत-सी जातियाँ ध्रुव की ओर स्थानांतरित हो जाएगी। ताप संवेदी वृक्षों की बड़ी संख्या लुप्त हो जाएगी और उनका स्थान छोटी झाड़ियाँ ले लेंगी।
- तापक्रम में वृद्धि अनेक पादप रोग तथा रोगवाहकों को जन्म देंगे तथा खर-पतवार में वृद्धि होगी। इस प्रकार कुल उत्पादन कम हो जाएगा।
ग्लोबल वार्मिंग वृद्धि को नियंत्रित करने वाले उपाय— हम लोग विश्वव्यापी ग्लोबल वार्मिंग को निम्नलिखित उपायों द्वारा नियंत्रित कर सकते हैं :
- जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम करके
- ऊर्जा दक्षता में सुधार करके
- वनोन्मूलन को कम करके
- वृक्षारोपण और मनुष्य की बढ़ती हुई जनसंख्या को कम करके, तथा वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास करके, हम वैश्विक उष्णता वृद्धि को कुछ सीमा तक नियंत्रित कर सकते हैं।