भारत में जनसंख्या (Population) का वितरण असमान है। इसका कारण देश के प्राकृतिक स्वरूप में भिन्नता तथा वर्षा का वितरण है।
स्थलरूप, मिट्टी की उर्वरता, जलवायु, सिंचाई तथा यातायात की सुविधा इत्यादि ऐसे कारक हैं जो जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करते हैं।
सामान्यतः उत्तरी मैदानी भागों तथा समुद्रतटीय प्रदेशों में समतल भूमि, उपजाऊ मिट्टी, सिंचाई तथा यातायात की सुविधा के कारण अधिक जनसंख्या पायी जाती है तो पर्वतीय, पठारी और मरुस्थलीय भागों में इन सुविधाओं के अभाव के कारण कम जनसंख्या मिलती है।
उत्तर भारत में पूरब से पश्चिम की ओर वर्षा की कमी के साथ-साथ जनसंख्या की भी कमी होती जाती है। गंगा के मैदान में देश के आधे से अधिक लोग रहते हैं।
उत्तरी भारत का विस्तृत मैदान तथा दक्षिण भारत के तटीय मैदान देश के एक तिहाई क्षेत्र में विस्तृत है, किन्तु इनमें देश के दो तिहाई लोग बसे हुए हैं।
जनसंख्या का भारी जमाव पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब इत्यादि में हैं। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी अधिक जनसंख्या पायी जाती है।
दूसरी ओर उत्तरी पर्वतीय राज्य, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात के कच्छ तथा छत्तीसगढ़ और ओडिशा के पठारी भाग विरल आबादी हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ तथा जनसंख्या का घनत्व 382 व्यक्ति प्रतिवर्ग कि०मी० है।
देश में सर्वाधिक घनत्व बिहार (1102) में है जिसके बाद क्रमश: पश्चिम बंगाल (1029), केरल (859) और उत्तर प्रदेश (828) का स्थान आता है।
सबसे कम घनत्व अरुणाचल प्रदेश (17) में है। इस प्रकार, मैदानी भाग मानव निवास की सुविधा के कारण सघन आबाद हैं, जबकि विपरीत परिस्थिति के कारण पर्वतीय भाग विरल आबाद हैं।