वितरण : भारत में कोयला का उत्पादन मुख्यतः दो क्षेत्रों में होता है, गौण्डवाना क्षेत्र और टर्शियरी क्षेत्र।
i. गौण्डवाना कोयला क्षेत्र— यह दक्षिणी पठार के पूर्वी भाग में स्थित है, जहाँ नदी-घाटियों की गौण्डवाना प्रणाली की चट्टानों में कोयला का निक्षेप केंद्रित है। इसके चार क्षेत्र हैं, जो इस प्रकार है—
(क) दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र— यह भारत का सबसे प्रमुख कोयला क्षेत्र है, जहाँ भारत के कुल कोयला भंडार का 60% सुरक्षित है।
यह झारखंड तथा प० बंगाल में स्थित है, जहाँ उत्तम कोटि का बिटुमिनस तथा कोकिंग, झरिया, गिरिडीह, कर्णपुरा, बोकारो, पलामू इत्यादि तथा प० बंगाल में रानीगंज में स्थित हैं।
(ख) सोन-महानदी कोयला क्षेत्र— इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा राज्य के क्षेत्र सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ की कोयला खानें सिंगरौली, उमरिया, कोरबा, सुहागपुर में तथा उड़ीसा की तलचर क्षेत्र में है।
(ग) सतपुरा कोयला क्षेत्र— यह क्षेत्र मध्यप्रदेश में स्थित है। यहाँ कोयला के अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें मोहपानी और पेंचघाटी महत्त्वपूर्ण हैं।
(घ) गोदावरी-वर्द्धा कोयला क्षेत्र— यह महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश में स्थित है जिसका द० भारत के लिए विशेष रूप से महत्त्व है। महाराष्ट्र में चन्दा और आंध्रप्रदेश में सिंगरेनी प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं।
ii. टर्शियरी कोयला क्षेत्र— इस क्षेत्र में भारत का बहुत कम कोयला प्राप्त होता है। यहाँ निम्नकोटि का लिग्नाइट कोयला मिलता है, किन्तु बिटुमिनस कोयला के अभावग्रस्त क्षेत्र में इनका महत्त्व अधिक है।
टर्शियरी युग का कोयला असम, मेघालय, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश इत्यादि में पाया जाता है।
तमिलनाडु के निवेली में भी लिग्नाइट कोयला मिलता है, जहाँ कोयला साफ करने के लिए लिग्नाइट कारपोरेशन स्थापित किया गया है।