अपने ही देश में एक गाँव से दूसरे गाँव या शहर या महानगरों में जाना आंतरिक प्रवास कहलाता है। गाँव से मजदूरी के लिए शहरों में तथा कृषि समुन्नत क्षेत्रों में मजदूरों और किसानों का जाना इसके उदाहरण है।
कभी-कभी विषम परिस्थितियों में कुछ समय के लिए समीपवर्ती क्षेत्र में प्रवास भी इसके अंतर्गत आते हैं। जाड़े के दिनों में हिमालय क्षेत्र के लोग कुछ
महीनों के लिए निचले भागों में चले जाते हैं। गर्मी में पुन: अपने गाँव आकर जीवन यापन करते हैं। यो तो आंतरिक प्रवास मूलतः आजीविका की खोज तथा जीवन के बेहतर अवसर के कारण होता है।
किंतु, गाँव में कृषि भूमि की कमी, बेरोजगारी या अर्द्ध बेरोजगारी तथा सुविधाओं की कमी और नगरों में सुविधाओं और सेवाओं की अधिकता, रोजगार के अवसर, उच्च शिक्षा तथा उच्च जीवन स्तर के कारण गाँवों से नगरों की ओर प्रवास होता है।
आंतरिक प्रवास के अंतर्गत चार धाराओं की पहचान की गई है:
- ग्रामीण से ग्रामीण
- ग्रामीण से नगरीय
- नगरीय से नगरीय और
- नगरीय से ग्रामीण।
आंतरिक प्रवास दो रूपों में होता है, जो इस प्रकार है—
- अन्त:राज्यीय और
- अन्तरराज्यीय।
अन्त:राज्यी प्रवास एक राज्य या प्रांत के भीतर ही होता है, जबकि अंतरराज्यीय प्रवास एक राज्य से दूसरे राज्य की ओर होता है।
यह उल्लेखनीय है कि अन्तः राज्यीय और अन्तर राज्यीय दोनों प्रवास में गाँव से गाँव की ओर अधिकतर महिलाओं का प्रवास शादी के कारण होता है।
गाँव से नगरों की ओर रोजगार के कारण पुरुष प्रवास अधिक होता है।