स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में हुए कृषि विकास की व्याख्या करें। Swatantrata Prapti Ke Bad Bharat Mein Hue Krishi Vikas Ki Vyakhya Karen
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स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में हुए कृषि विकास की व्याख्या करें। Swatantrata Prapti Ke Bad Bharat Mein Hue Krishi Vikas Ki Vyakhya Karen

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कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था (Economy) का आधार है, जो देश के 57% भू-भाग पर की जाती है और जिस पर देश की 53% जनसंख्या आश्रित है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने कृषि में पर्याप्त प्रगति की है। बीसवीं शताब्दी के मध्य तक इसकी दशा दयनीय थी।

अकाल, सूखा और देश विभाजन के बाद एक तिहाई सिंचित क्षेत्र का पाकिस्तान में चला जाना ऐसी समस्याएँ थीं, जिससे निपटने के लिए स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाना आवश्यक हो गया।

इसके लिए कृषि विकास की रणनीति के अंतर्गत कई उपाय अपनाए गए, जिनमें :

  • व्यापारिक फसलों की जगह खाद्यान्नों का उपजाना
  • कृषि गहनता को बढ़ाना तथा
  • कृषि योग्य बंजर तथा परती भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित करना शामिल है।

प्रारंभ में इस नीति से खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ा, किन्तु बाद में यह स्थिर हो गया। इस समस्या से उभारने के लिए 1961 में गहन कृषि जिला कार्यक्रम (IADP) और गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (IAAP) प्रारंभ किये गये।

लेकिन 1960 के दशक के अकाल और खाद्यान्न के आयात की बाध्यता ने सरकार को विभिन्न कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने पर बाध्य कर दिया।

सरकार ने अधिक उपज देने वाले गेहूँ के बीज मेक्सिको से तथा चावल के बीज फिलिपींस से आयात किए।

इसके अतिरिक्त सिंचित क्षेत्र का विस्तार किया गया, रासायनिक खाद, कीटनाशक और कृषि यंत्र के प्रयोग पर जोर दिया गया।

इन प्रयासों के फलस्वरूप खाद्यान्नों के उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई और इसे हरितक्रान्ति के नाम से जाना गया। देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हो गया।

किन्तु हरित क्रांति का लाभ पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश और गुजरात के सिंचित क्षेत्र तक ही सीमित रहा और देश में कृषि विकास में प्रादेशिक असमानता बढ़ गई।

1980 ई० के बाद यह प्रौद्योगिकी देश के मध्य और पूर्वी भाग में पहुँची।

1980 के दशक में योजना आयोग ने वर्षा आधारित क्षेत्र की कृषि पर ध्यान दिया और 1988 में कृषि विकास में प्रादेशिक संतुलन लाने के लिए कृषि, पशुपालन तथा जलकृषि के विकास के लिए संसाधनों के विकास पर बल दिया।

1990 के दशक की उदारीकरण नीति तथा उन्मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था ने भी भारतीय कृषि विकास को प्रभावित किया है।

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