जलविद्युत (Hydel power) उत्पादन के लिए कुछ विशेष भौगोलिक दशाओं का होना आवश्यक है।
भारत में इसके लिए भौतिक और आर्थिक दोनों ही दशाएँ अनुकूल हैं।
ये आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं—
i. पर्याप्त जल मिलना : भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमालय के पर्वतीय भाग तथा पश्चिमी घाट पर्वत में पर्याप्त वर्षा होती है और नदियों में सालों भर पानी भरा रहता है। हिमालय से निकलनेवाली नदियाँ बड़ी-बड़ी हैं, जिन्हें सहायक नदियों से भी जल मिलता है।
ii. जल का निरंतर प्रवाहित होते रहना : जल के निरंतर प्रवाहित होने से पनबिजली का उत्पादन सालों भर होता है। भारत में हिमालय से निकलनेवाली नदियाँ सदा प्रवाही हैं, क्योंकि इन्हें गर्मी में बर्फ के पिघलने से जल मिलता है।
यह सुविधा दक्षिण की पठारी नदियों में नहीं है, फिर भी वहाँ बाँध और विशाल जलाशय बनाकर उनमें वर्षाकालीन जल एकत्रित कर जलाभाव की पूर्ति की जा सकती है।
iii. जल का तीव्र वेग से गिरना : भारत में जल-वेग के लिए आदर्श स्थिति मिलती है। देश के पर्वतीय और पठारी भागों में जल तीव्र गति से बहता है और अनेक जलप्रपात पाये जाते हैं।
इससे जल-विद्युत का उत्पादन सरल हो जाता है। इसके अतिरिक्त बहुउद्देशीय योजनाओं के अंतर्गत कृत्रिम बाँध बनाकर भी जल को तीव्र गति से गिराया जाता है।
iv. विद्युत की माँग का व्यापक क्षेत्र : भारत में जल-विद्युत् का बाजार काफी विस्तृत है। यह एक विकासशील देश है, जहाँ घरेलू उपयोग के अतिरिक्त कृषि-मशीन, औद्योगिक मशीन, रेलगाड़ी इत्यादि में जलविद्युत की माँग दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
v. शक्ति के अन्य साधनों का अभाव : भारत में कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि शक्ति के साधन सीमित क्षेत्रों में उपलब्ध हैं।
उत्तर-पश्चिमी और दक्षिणी भारत में आर्थिक विकास के लिए जलविद्युत का विकास लाभप्रद होगा।
vi. तकनीक एवं पूँजी : भारत में जलविद्युत के विकास के लिए उपर्युक्त तकनीक और पर्याप्त पूँजी भी उपलब्ध हैं।