औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) इंगलैंड में लगभग 1750 ई० में प्रारंभ हुई । इसका तात्पर्य उद्योग के क्षेत्र में उन तीव्र परिवर्तनों से है, जो इतने प्रभावशाली थे कि उन्हें क्रांति का नाम दिया गया।
इस परिवर्तन के फलस्वरूप बड़े-बड़े कारखानों में हाथ के स्थान पर मशीनों का प्रयोग होने लगा। इससे कम समय में अधिक उत्पादन होने लगा। औद्योगिक क्रांति का अच्छा और बुरा दोनों प्रभाव पड़ा।
अच्छा या धनात्मक प्रभाव (Good or Positive Impact)— औद्योगिक क्रांति का धनात्मक प्रभाव न केवल उद्योगों पर पड़ा, बल्कि कृषि, यातायात, संचार, व्यापार और शिक्षा भी इससे प्रभावित हुए।
i. उद्योग पर प्रभाव (Impact on Industries)— उद्योगों में बड़े पैमाने पर शोध कार्य हुए और नई-नई मशीनों का आविष्कार हुआ। इससे मानव श्रम की आवश्यकता कम हुई और उत्पादन की दर और मात्रा दोनों में वृद्धि हुई।
ii. कृषि पर प्रभाव (Impact on Agriculture)– नयी-नयी मशीनों के आविष्कार के कारण खेती के लगभग सभी कार्य मशीनों से होने लगे तथा सिंचाई के साधनों का विकास हुआ। उत्तम बीज तथा रासायनिक खाद का प्रयोग भी बढ़ा। इससे कृषि उत्पादन में काफी वृद्धि हुई।
iii. यातायात पर प्रभाव (Impact on Transport) : औद्योगिक क्रांति के कारण कच्चे माल तथा तैयार माल को लाने-ले जाने के लिए यातायात के तीव्र साधन यथा मोटर वाहन, रेलइंजन और डिब्बे, जलयान, वायुयान इत्यादि का विकास हुआ।
iv. संचार पर प्रभाव (Impact on Communication)– औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप तार, टेलीफोन, वायरलेस, मोबाइल, इंटरनेट इत्यादि का विकास हुआ।
v. व्यापार पर प्रभाव (Impact on Trade) — औद्योगीकरण के फलस्वरूप चीजों का उत्पादन बढ़ा, लोगों की आवश्यकता बढ़ी और यातायात तथा संचार के साधनों का विकास हुआ। इससे व्यापार के क्षेत्र में काफी विस्तार हुआ।
vi. शिक्षा पर प्रभाव (Impact on Education)—शिक्षा के क्षेत्र में भी नयी-नयी तकनीक और मशीनों (प्रोजेक्टर, कम्प्यूटर, इंटरनेट इत्यादि) का प्रयोग होने लगा। इस प्रकार औद्योगिक क्रांति ने शिक्षा पर भी अच्छा प्रभाव छोड़ा है।
बुरा या ऋणात्मक प्रभाव (Bad or Negative Impact)—
i. बेरोजगारी (Unemployment)— औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप मशीनों के प्रयोग बढ़ने से विश्व के लगभग सभी देशों में बेरोजगारी बढ़ी है।
ii. उपनिवेशीकरण (Colonisation)– पाश्चात्य विकसित देशों ने कच्चा माल के लिए एशिया के बहुत से देशों को अपना उपनिवेश बनाया, जहाँ उन्हें कच्चा माल आसानी से मिल जाता था और तैयार माल की बिक्री हो जाती थी।
iii. औद्योगिक देशों के बीच संघर्ष (Conflict among Industrial countries)— तैयार माल की बिक्री और कच्चा माल की प्राप्ति के लिए यूरोपीय और औद्योगिक देशों के बीच आपसी प्रतिस्पर्द्धा और संघर्ष ने जन्म लिया।
iv. सैन्यवाद और शस्त्रीकरण (Militarisation and Armament)– साम्राज्यवादी देशों के बीच प्रतिस्पर्द्धा और नये-नये अस्त्र-शस्त्रों के आविष्कार ने सैन्यवाद और शस्त्रीकरण को जन्म दिया, जिसके फलस्वरूप प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध हुए।