भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइये। Bhoo Nimnikaran Ko Kam Karne Ke Upay Sujhayen
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भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइये। Bhoo Nimnikaran Ko Kam Karne Ke Upay Sujhayen 

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भू-निम्नीकरण (Land degradation) का अभिप्राय स्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की गुणवत्ता तथा उत्पादकता में कमी है। इसे भूमि विकृति भी कहते हैं।

भू-निम्नीकरण दो प्रक्रियाओं द्वारा होता है— प्राकृतिक एवं मानव जनित।

प्राकृतिक कारकों द्वारा विकृत भूमि प्राकृतिक खड्ड, रेतीली भूमि, बंजर चट्टानी क्षेत्र, तीव्र ढाल वाली और हिमानीकृत भूमि है।

प्राकृतिक और मानवीय कारकों द्वारा विकृत भूमि में जल-जमाव और दलदलीय क्षेत्र, लवणता और क्षारता से प्रभावित तथा झाड़ियों सहित या रहित भूमि शामिल है।

भारत में सकल कृषि रहित भूमि 17.98% है, जिनमें 2.18% बंजर और कृषि अयोग्य बंजर तथा 15.8% निम्नीकृत है। निम्नीकृत भूमि प्रकृति जनित 2.4%, प्रकृति एवं मानव जनित 7.5% और मानव जनित 5.88% है।

भू-निम्नीकरण को कई उपायों से कम किया जा सकता है—

i. जल संभरण प्रबंधन : यह कार्यक्रम भूमि, जल तथा वनस्पतियों के बीच संबद्धता को पहचानकर प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन एवं सामुदायिक सहभागिता से लोगों की आजीविका को सुधारता है।

यह निम्नीकरण को रोकने तथा भूमि की गुणवत्ता को सुधारने में सफल सिद्ध होगा। इस कार्यक्रम ने अकेले झबुआ जिले (मध्य प्रदेश) की लगभग 20% भूमि का उपचार किया है और उन्हें दलदल, जल-जमाव, लवणता और क्षारता से छुटकारा दिलाया है।

ii. चारागाह प्रबंधन एवं वन रोपण : चारागाह भूमि और अन्य व्यर्थ भूमि पर चारा लगाकर भूमि का उपयोग बढ़ाया जा सकता है।

पर्वतीय ढालों पर वनरोपण द्वारा भूमि अपरदन को कम किया जा सकता है।

iii. जैविक खाद का प्रयोग : किसानों को जैविक खाद के महत्त्व तथा रासायनिक पदार्थों के उचित उपयोग के बारे में प्रशिक्षण देना चाहिए।

सड़ी-गली सब्जियों और फलों तथा पशुओं के मल-मूत्र को उचित प्रोद्योगिकी द्वारा बहुमूल्य खाद में परिवर्तन किया जा सकता है। नगरीय तथा औद्योगिक गंदे पानी को साफ

iv. गंदे पानी का उपचार और उपयोग : नगरीय तथा औद्योगिक गंदे पानी को साफ करके सिंचाई के लिए प्रयोग करना चाहिए।

v. नगरों के ठोस एवं तरल अपशिष्ट का प्रबंधन : गंदी बस्तियों के लोगों को सुलभ शौचालय की सुविधा देकर भूमि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

प्लास्टिक के बने पदार्थों को जल के प्रवाह में नहीं जाने दिया जाए। इससे जल और भूमि दोनों का प्रदूषण कम होगा।

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