गुटेनबर्ग ने अपने ज्ञान एवं अनुभव से टुकड़ों में बिखरी मुद्रण कला के ऐतिहासिक शोध को संगठित एवं एकत्रित किया तथा टाइपों के लिए पंच, मैट्रिक्स, मोल्ड आदि बनाने का योजनाबद्ध तरीके से कार्य आरंभ किया।
मुद्रण टाइप बनाने हेतु उसने शीशा, टीन और बिस्मिथ धातुओं से उचित मिश्रधातु बनाने का तरीका ढूंढा।
शीशे का प्रयोग सस्ता और स्याही के स्थानांतरण की क्षमता के कारण किया गया। रांगा तथा टीन का उपयोग उसकी कठोरता एवं गलाने के गुणों के कारण किया गया।
गुटेनबर्ग ने आवश्यकता के अनुसार मुद्रण स्याही भी बनाई और हैंडप्रेस का प्रथम बार मुद्रण कार्य संपन्न करने में प्रयोग किया।
इस हैंडप्रेस में लकड़ी की चौकट मेें दो समतल भाग प्लेट एवं बेड, एक के नीचे दूसरा समानांतर रूप में रखे गए थे।
कंपोज किया हुआ टाइप मैटर बेड पर कस दिया जाता था एवं उसपर स्याही लगाकर तथा कागज रखकर प्लेट द्वारा दबाकर मुद्रित किया जाता था।
इस प्रकार एक सुस्पष्ट एवं शीघ्र कार्य करने वाला गुटेनबर्ग का ऐतिहासिक मुद्रण शोध 1440 वें वर्ष में आरंभ हुआ।